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साइबर सिक्योरिटी क्यों समय की माँग बन चुकी है This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

साइबर सिक्योरिटी क्यों समय की माँग बन चुकी है

हैकिंग, एक टेक्निकल थ्रेट है, आसान शब्दों में कहें, तो जब कोई, आपकी परमिशन के बिना, आपके नेटवर्क सिस्टम और सरवर को अपने कंट्रोल में कर लेता है। और ऐसा करने वाला व्यक्ति, हैकर है। हैकर्स, बेसिकली, 3 टाइप होते हैं। पहला ब्लैक हैट हैकर्स, जो खराब ईरादे से अपने आईटी स्किल का यूज करते हैं। दूसरा व्हाइट हैट हैकर्स, यानी एथिकल हैकर्स जो किसी इंडिविजुअल या कंपनी के लिए एक defensive purposes से काम करते हैं। और तीसरी कैटेगरी- ग्रे हैट हैकर्स, की है, जो एथिकल और अनएथिकल दोनो टाइप की एक्टिविटीज में इन्वोल्व होते हैं। The Matrix, A Wednesday और V for Vendetta। क्या आपने ये मूवीज देखी हैं। कैसी लगीं। फिल्मों में हैकर्स की प्लानिंग, उनका हर एक्शन हमें बहुत इंटरस्टिंग लगता है। लेकिन यही, साइबर थ्रेट अगर रियालिटी में, हमारे साथ हो जाएं, तो? आज इंटरनेट ही हमारी दुनिया है, जहां शॉपिंग, बैंकिंग से लेकर, लोगों से कनेक्ट करना, हर चीज के लिए हम, इस पर डिपेंड हो चुके हैं। लेकिन इस नेटवर्क सिस्टम का नुकसान भी है। आज ऑनलाइन धोखाधड़ी, रैंसमवेयर और फिशिंग अटैक जैसे साइबर थ्रेट हर बीत रहे दिन के साथ बढ़ रहे हैं। सिर्फ लोग ही नहीं, कंपनियों को भी ट्रैप किया जा रहा है।

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पिछले कुछ मामलों की बात करें, तो साल 2018 में पुणे कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से हैकर्स ने 94 करोड़ रुपए उड़ा लिए। इसके अलावा, भारत के नामी पेमेंट प्रोसेसर - Juspay का मामला सामने आया, जिसके बारे में साल 2021 में तब पता चला, जब हैकर्स, 35 मिलियन के करीब कस्टमर्स का डाटा अमेरिकी डॉलर में बेचने के लिए तैयार बैठे थे। इतना ही नहीं, मई 2021 में पिज्जा ब्रांड डोमिनोज़ इंडिया का किस्सा सामने आया। हुआ यूं कि करीब 10 लाख, कस्टमर्स के नाम, पते, डिलीवरी लोकेशन, मोबाइल नंबर के साथ हैकर्स ने, 18 मिलियन पिज्जा ऑर्डर किए थे। वहीं, फरवरी 2021 के एयर इंडिया साइबर अटैक के बारे में शायद आपने भी सुना होगा, जब more then 4 मिलियन global customers का रिकॉर्ड लीक हो गया था। इसलिए साइबर सिक्योरिटी, आज समय की मांग बन चुकी है। सबसे पहले समझते हैं कि साइबर सिक्योरिटी आखिर है क्या। यह बेसिकली, कंप्यूटर, सर्वर, मोबाइल डिवाइस, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, नेटवर्क और डेटा को प्रोटैक्ट करने की प्रैक्टिस है। यानी ऑनलाइन धोखाधड़ी, थ्रेट से बचाने का एक सिस्टम या टेक्नीक। अपने मोबाइल फोन से लेकर अपने कम्प्यूटर में, आप फायरवॉल और एन्क्रिप्शन के बारे में जानते होंगे, यही साइबर सोल्यूशन या सिक्योरिटी टेक्नीक हैं। आसान शब्दों में समझें, तो ये ऐसे सोल्यूशन हैं, जिससे कोई Unauthorized व्यक्ति या साइट आपके डाटा, इन्फॉरमेशन को Access नहीं कर पाता है। जाहिर सी बात है कि एक स्ट्राँग साइबर सिक्योरिटी, आपको नुकसान से बचा सकती है।

साइबर सिक्योरिटी और फ़िशिंग, मालवेयर अटैक, हैकिंग, पहचान धोखाधड़ी और इलेक्ट्रॉनिक थेफ्ट जैसे क्राइम्ज को देखते हुए भारत सरकार ने कई कानून बनाए हैं। जैसे 2004 में इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम बनाई गई थी। आईटी एक्ट 2002, 2013 के अलावा IT Rules, 2021 जैसे कई एक्ट में, भारत सरकार की साइबर Strategy देखी जा सकती है। लेकिन भारत में, कोई स्पेसिफिक साइबर लॉ नहीं है, हालांकि यह अलग बात है कि इसे डिफरेंट आईटी लॉ, contract law, penal provisions और cyber security policy के तहत कवर किया जाता है। साल 2025 तक भारत में 900 मिलियन इंटरनेट यूजर होने की उम्मीद है। आज के टाइम में हर कोई, Online ही अपने कम्प्यूटर या क्लाउड में Data Save करता है, अब ऐसे में चाहे वह डाटा पर्सनल हो या फिर प्रोफेशनल हो। यहां सवाल यह है कि क्या यह डाटा पूरे तरीके से सुरक्षित है। शायद नहीं। वास्तव में, साइबर सिक्योरिटी, सिर्फ भारत ही नहीं, हर देश की जरूरत है। साल 2022 में साइबर सिक्योरिटी फर्म क्लाउडसेक के अनुसार भारत की सरकारी एजेंसियों पर सबसे ज्यादा साइबर हमले हुए हैं। सरकार को यह समझने की जरूरत है कि आज की दुनिया साइबर स्पेस और पॉवर की है। इसकी जरूरत का अंदाजा, न्यूक्लियर पावर के मामले में अमेरिका, की स्ट्रेंथ और उसकी डोमिनेंस से लगाया जा सकता है। इसलिए भारत में अलग साइबर मिनिस्ट्री होनी चाहिए, जो केवल साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए हो। क्योंकि भारत में आज भी साइबर सिक्योरिटी से जुड़े मामलों को, विभिन्न मंत्रालयों के अंडर रखा गया है। आज साइबर स्पेस, एक बैटलफील्ड बन चुकी है, जहां डाटा - एक स्ट्राँग वैपन की तरह है। इसलिए दूसरे देशों के साइबर हमलों और ऐसी एक्टिविटीज से बचने के लिए भारत को तैयार होने की जरूरत है। इस वेब वर्ल्ड में भारत के ज्यादातर यूजर का डाटा प्राइवेट कंपनियों के हाथ में है। इसलिए प्राइवेट सेक्टर के पास एक स्ट्राँग साइबर सिक्योरिटी कवर होना जरूरी है।